धारावाहिक मकाफात - ए - अमल episode 1
धारावाहिक = मकाफ़ात -ए -अमल
ये धारावाहिक थोड़ी कल्पना और थोड़ी हकीकत पर लिखा गया है । जिसका उद्देश्य केवल और केवल ये बताना है कि जैसा तुम दूसरों के साथ करोगे वैसा ही ईश्वर भी तुम्हारे साथ करेगा जिसे उर्दू में मकाफात-ए -अमल कहाँ जाता है ।
इस धारावाहिक का उद्देश्य किसी की भी भावनाओं को ठेस पहुँचाना नही है ।
इस धारावाहिक की शुरुआत एक घर के सीधे सादे और ज़िम्मेदार लड़के तबरेज जो अपनी ज़िम्मेदारियों को बखूबी निभाता है वही दूसरी तरफ़ एक लड़की ज़ोया जो की सिर्फ अपने बारे में सोचती है और अपनी ख़ूबसूरती पर इतराती है और जो की लड़के से बिलकुल मुख्तलिफ ( अलग ) होती है । तो आखिर केसा होगा इन दोनों का सफर जानने के लिए पढ़ते रहिये ।
शहर रामपुर जो की उत्तर प्रदेश का एक जिला है । जहाँ एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी रज़ा लाइब्रेरी स्थित है और जहाँ के खाने और बवार्ची बहुत प्रसिद्ध है इसी के साथ साथ यहाँ बीड़ी का कारोबार, पतंग बनाने का कारोबार, कपड़ो पर कढ़ाई का काम ज़ोरो शोरो पर किया जाता है और साथ ही साथ यहाँ का चाकू जिसे रामपुरी चाकू कहते है बहुत प्रसिद्ध है ।
इसी शहर के एक मोहल्ले राजदुआरे से इस धारावाहिक की शुरुआत होती है।
भोर का समय ।
"अस्सलामुअलैकुम अम्मी जान, आज आप बहुत जल्दी उठ गयी नमाज़ के लिए " बाहर बैठी आमना से उसके बड़े बेटे तबरेज ने अपने कमरे से निकलते हुए कहाँ।
" हाँ, बेटा क्या करू ये घुटनो का दर्द मुझे सोने नही देता रात भर टीस लगती रहती है । और करवटे बदल बदल कर सोने की कोशिश करती रहती हूँ, मजाल है जो इन बूढी आँखों में नींद आ जाए " आमना ने अपने दिल का हाल बताते हुए कहाँ
" अम्मी बस दुआ करो इस बार मेरी कमेटी निकल जाए तो आपको मुरादाबाद लेकर जाऊंगा सुना है मेने कि वहा एक अच्छा डॉक्टर है जो हर इतवार वहा आता है , लेकिन बस थोड़ी फीस महंगी है , लेकिन कोइ नही मैं आपको लेकर जाऊंगा " तबरेज ने कहाँ
" क्या क्या करेगा तू इस घर के लिए ? , आज अगर तेरे अब्बू ज़िंदा होते तो तुझे यू आज मैकेनिक नही बनना पड़ता , उन्हें कितना अरमान था तुझे पढ़ा लिखा कर किसी ऑफिस में बैठा देखने का " आमना उदास चेहरे से कहती
" क्या अम्मी आप भी , बस मेरे भाई पढ़ लिख गए बहने अपने अपने घरों की हो गयी और मुझे क्या चाहिए था ज़िन्दगी से, वो तो अल्लाह का शुक्र था की अब्बू के मरने के बाद मामू जान ने अपनी वर्कशॉप पर मुझे लगा लिया इसलिए देखों आज में गाड़ियों का मैकेनिक बन गया , वरना तो जिस समय अब्बू के एक्सीडेंट की खबर आयी थी और पता चला कि वो अब हमारे बीच नही रहे उस समय तो सिर्फ आँखों के आगे अंधेरा सा छा गया था जब मेने अपने दोनों छोटे भाइयो और बहनो को रोते हुए देखा । मुझे नही समझ आ रही थी कि क्या करना है उस वक़्त मुझे अपनी पढ़ाई से ज्यादा आप लोगो के पेट पालने की पड़ी थी इसलिए मेने दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी लेकिन अपने भाइयो को कामयाब होता देख मुझे लगता है की मेरा संघर्ष मेरे घर वालो के काम आ गया " तबरेज अपनी माँ से कहता है ।
" हाँ, बेटा वो भी एक बुरा वख्त था जब तेरा बाप पांच पांच बच्चों को मेरे उपर छोड़ कर खुद सुपुर्द -ए -खाक ( दुनिया से चला गया )हो गया , अगर तू ना होता तो मैं तो कब की ही मर गयी होती तुम सब को अनाथ करके । लेकिन बेटा अब तू भी घर बसा ले देख तेरा एक छोटा भाई तो बाप भी बन गया और तू है कि अभी शादी नही करना चाहता " आमना ने रोंधी आवाज़ में कहाँ
" अम्मी अभी आपके घुटनो का इलाज कराना है , उसके बाद आरिफ ( जो की शादी शुदा है और तबरेज का छोटा भाई है ) को कारोबार कराकर देना है , और ज़की तो अभी इंजीनियरिंग के दूसरे साल में है वो तो शुकर है कि उसने अपनी मेहनत के दम पर स्कालरशिप हासिल कर ली थी वरना अब्बू का सपना एक बेटे को इंजीनियर बनाने का अधूरा ही रह जाता और उन सब के बाद आपको हज पर भी तो लेकर जाना हे " तबरेज ने कहाँ
" बेटा इन सब में तू कहाँ आता हे अपने लिए भी तो कुछ कर , अपना घर बसा कोइ अच्छी सी लड़की देख कर उसके बाद उसे घुमा फिरा अपना परिवार आगे बड़ा कब तक दूसरों के लिए खुद को हल्कान करता रहेगा । माशाल्लाह से आरिफ भी एक बच्ची का बाप बन गया हे और जिम्मेदार भी माना की उसने अपनी पसंद की लड़की से शादी कर ली थी लेकिन अब निभाह रहा हे। अच्छे से और रही बात ज़की की तो वो भी कुछ ना कुछ कर ही लेगा और तेरी दोनों बहने अपने अपने घर की हो गयी । तू कहे तो रिश्ते वाली खाला से कहकर तेरी बात आगे बड़वाऊ " आमना ने कहा
" क्या अम्मी आप भी मेरी शादी का राग अलापने बैठ गयी सुबह सुबह, मुझे देर हो रही हे नमाज़ के लिए और आप भी अब जाकर नमाज़ पढ़ लीजिये बहुत करली बाते और हाँ बैठ कर पढ़ना नमाज़ घुटनो में दर्द हे आपके " तबरेज़ ने कहा और मस्जिद के लिए बाहर निकल गया ।
" बहुत ही नेक औलाद दी हे मुझे अल्लाह ने मेरी और घर वालो की कितनी फ़िक्र करता हे बस अब यही दुआ हे कोइ अच्छी सी लड़की इसे पसंद आ जाए तो इस का घर भी बसा दू अपनी आँखों के सामने " आमना ने वही बैठे बैठे कहाँ।
अब चलते हे इस धारावाहिक की नायिका की तरफ ।
"जोया उठ देख अज़ान हो गयी , अब्बू कब से तुझे बाहर बुला रहे हे नमाज़ के लिए । अभी अम्मी से कह कर गए हे कि अगर मेरे लौटने तक ज़ोया मुसाल्ले ( नमाज़ पढ़ने वाली चटाई ) पर नही दिखी तो आज ही इस घर से केबल कटवा दूंगा और उसका मोबाइल जिस पर वो दिन भर लगी रहती हे सब छीन लूँगा " सुबह सुबह ज़ोया को उठाते हुए उसकी बड़ी बहन आरज़ू जो कि शादी शुदा हे ने कहाँ
" सोने दो ना आपी इतना प्यारा सपना देख रही हूँ, और अब्बू आये तो उनसे कहना ज़ोया नमाज़ पढ़ कर सौ गयी " ज़ोया ने सोते सोते कहाँ।
"ज़ोया की बच्ची झूठ कहु मैं अब्बू से हरगिज़ नही, जल्दी उठ वरना अब्बू को बता दूँगी कि तू B. A में फिर से लुढ़क गयी हे , ये सुन कर अब्बू तेरा मोबाइल और इस घर से टीवी हमेशा हमेशा के लिए हट वा देंगे " आरज़ू ने कहाँ
ये सुन ज़ोया झट अपने उपर से चादर उतारती और कहती " तुम्हे किसने बताया कि मैं फ़ैल हो गयी हूँ जिसने भी बताया गलत बताया हे "
" तेरी टीचर ने बताया हे कल मिली थी मुझे बाजार में जब में अम्मी के साथ मावी ( आरज़ू का बेटा ) के कपडे लेने गयी थी वो तो शुक्र था कि अम्मी बाहर थी और टीचर अंदर वरना तो तू आज मारी जाती अम्मी के हाथो से " आरज़ू ने कहाँ
जोया झट बिस्तर से उतर कर आरज़ू के आगे हाथ जोड़ती और कहती " मेरी प्यारी बहन , अम्मी अब्बू को मत बताना जब तक तू मायके में हे तेरे सारे काम मैं कर दूँगी बस खुदा के लिए अब्बू को मत बताना , मैं अभी नमाज़ पढ़ कर आती हूँ, बस तुम वादा करो अम्मी अब्बू को नही बताओगी नही तो अब्बू मेरा मोबाइल छीन लेंगे और केबल भी हटवा देंगे मेरे सारे ड्रामे ख़राब हो जाएंगे "
आरज़ू ज़ोया का कान पकड़ कर " ज़ोया कि बच्ची इतनी मेहनत अगर पढ़ाई पर कि होती तो यूं इस तरह मुझे मेरे काम करने कि रिश्वत ना देनी पडती , आखिर क्या दुश्मनी हे तेरी पढ़ाई के साथ मुझे ही देख मेने शादी के बाद भी ph. D करली हिस्ट्री में और एक तू हे बाप के घर तुझसे पढ़ाई नही हो रही तो शोहर के घर क्या करेगी वहा तो सास नन्दे तेरा जीना हराम कर देंगी "
" कर ही ना दे कही , मेरा नाम ज़ोया अशफ़ाक़ हे ना कि आरज़ू अशफ़ाक़ वो तुम ही हो जो अपनी सास नन्दो के आगे हथियार डाले रहती हो और जुबान से कुछ नही कहती हो, मैं तो अपने शोहर को अपनी उंगलियों पर नचाउंगी जिससे वो मेरे आगे पीछे फिरता रहे " ज़ोया अपने बालो में हाथ फेरते हुए कहती हे
" बेशर्म कही की केसी बाते कर रही हे पढ़ाई में दिल नही लगता इसका बाकी सारी बाते पता हे इसको " आरज़ू ने उसके गाल पर प्यार से चाटा मारते हुए कहा
"अरे! आपी किताबों में वो मज़ा कहाँ हे जो,,,,,,,,, जोया कहते कहते चुप हो गयी
" जो, क्या जोया? " आरज़ू ने पूछा
"जोया सच सच बता कही तू प्यार व्यार के चक्कर में तो नही पड़ गयी। अगर मुझे पता लगा की तू कुछ ऐसा वैसा कर रही हे तो मैं तुझे खुद अब्बू के हवाले कर दूँगी फिर वो खुद समझेंगे तेरे साथ किया करा जाए " आरज़ू ने थोड़ा गुस्से के साथ कहाँ
"अभी वो लड़का पैदा नही हुआ इस धरती पर जो जोया अशफ़ाक़ के दिल में अपना घर बना सके। मुझे तो कोइ राजकुमार हैंडसम सा लड़का अपनी दुल्हन बना कर ले जाएगा बिलकुल ड्रामो जैसा लड़का ।मुझे नही करना दूल्हा भाई ( जीजा ) जैसे लड़के से शादी " ज़ोया ने कहाँ
" बेशर्म कही की केसी बाते कर रही हे मेरे ही सामने मेरे शोहर को बुरा कह रही हे देख अम्मी से कहूँगी की अपनी छोटी बेटी पर लगाम कसे क्यूंकि आज कल वो किताबों से ज्यादा नॉवेल पढ़ रही हे जो उसके दिमाग़ में फ़िज़ूल बाते भर रहे हे " आरज़ू ने कहा
"अच्छा ना बाबा सॉरी तुम्हारे शोहर को बुरा कहने के लिए वैसे एक बात कहु उन्हें काफी समय लगा होगा तुमसे अपने प्यार का इज़हार करने में क्यूंकि वो हकलाते जो हे तुम्हारा नाम ही उन्होंने काफी घंटो में लिया होगा अ,,,,,,,, अ,,,,,,,,, अ,,,,,,,,,, अ,,,,,,,, आरज़ू " ज़ोया ने हसकर कहाँ और वहा से भागने लगी
" अब नही छोडूंगी में तुझे मेरे शोहर को हकला कहती और उनका मज़ाक बनाती हे , आज तो तू नही बचेगी मेरे हाथो से " आरज़ू उसकी तरफ तकिया लेकर दौड़ी और दोनों एक दूसरे के साथ तकया मार खेलती रही और हस्ती रही ।
तभी आरज़ू की नज़र दीवार पर टंगी घड़ी पर जाती और वो चीख कर कहती " ज़ोया भाग नमाज़ पढ़ने के लिए अब्बू के आने का समय हो गया अगर उन्होंने हमें नमाज़ पढ़ते हुए नही देखा तो खामखा तेरे साथ साथ मुझ पर भी गुस्सा करेंगे जबकी मैं उनकी लाडली बेटी हूँ। अली ( ज़ोया और आरज़ू का छोटा भाई )और तुझसे ज्यादा वो मुझसे प्यार करते हे । देखा नही था मेरी विदाई पर केसा बच्चों की तरह रो रहे थे "
दोनों नमाज़ पढ़ने चली जाती और दरवाज़े पर एक दस्तक होती
दरवाज़े पर कौन हे जानने के लिए पढ़ते रहिये मकाफात -ए -अमल
11/april /202
Seema Priyadarshini sahay
13-Apr-2022 10:28 PM
बहुत बेहतरीन रचना👌👌
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Anam ansari
11-Apr-2022 07:26 PM
Nice
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Gunjan Kamal
11-Apr-2022 03:22 PM
बेहतरीन आगाज 👏👌🙏🏻
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